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एमबीबीएस पाठ्यक्रम के ‘भगवाकरण’ पर बढ़ी रार

आरएसएस के केबी हेडगेवार और जनसंघ के दीनदयाल उपाध्याय के विचार एमबीबीएस पाठ्यक्रम में शामिल करने पर कांग्रेस ने पूछा देश की आजादी और विकास में हेडगेवार और दीनदयाल उपाध्याय का क्‍या योगदान ?

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भोपाल. मध्यप्रदेश में एमबीबीएस पाठ्यक्रम को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। यह इसके फाउंडेशन कोर्स में आरएसएस के संस्थापक केबी हेडगेवार और जनसंघ के दीनदयाल उपाध्याय के विचार को शामिल किए जाने को लेकर है। इस मुद्दे पर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने है और राजनीति भी गरमा गई है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने राज्य सरकार से सवाल पूछा है कि सरकार बताए कि देश की आजादी और विकास में हेडगेवार और दीनदयाल उपाध्याय का क्या योगदान रहा है? भाजपा शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर अपनी विचारधारा को थोपने का प्रयास कई वर्षों से कर रही है।यह उसी एजेंडा का हिस्सा है।

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उन्होंने कहा कि भाजपा स्पष्ट करे कि इन लोगों ने देश के लिए ऐसे कौन से उल्लेखनीय कार्य किए हैं, जिसे मेडिकल के छात्रों को बताया जाएगा। इस पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने पलटवार करते हुए कहा कि देश में जो भी आदर्श रहे हैं, उनके बारे में सभी को जानने का अधिकार है। मेडिकल के छात्र भी इनके बारे में जरूर जानेंगे।

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महात्मा गांधी, सुभाषचंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद जिन्होंने क्रांतिकारी आंदोलन खड़ा करके देश के लिए सबकुछ न्यौछावर कर दिया था। हेडगेवार ने देश को एक सूत्र में बांधने का काम किया। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना कर बड़ा विचार देश को दिया है।

यह है पूरा मामला
एमबीबीएस के छात्रों के बौद्धिक विकास के लिए देश के विचारकों के विचार पाठ्यक्रम में जोड़ा जाएगा। इसके लिए सरकार द्वारा तैयार सूची में महर्षि चरक, आचार्य सुश्रुत, स्वामी विवेकानंव,आरएसएस के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार, जनसंघ के संस्थापक दीनदयाल उपाध्याय और डॉ. भीमराव आंबेडकर का नाम शामिल हैं। राज्य के चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने फरवरी में विभाग को नोटशीट भेजकर पांच सदस्यों की कमेटी बनाई थी। इससे मिले सुझाव पर जीवन दर्शन वाले फाउंडेशन कोर्स में इसे शामिल किया जाएगा। ये एथिक्स टॉपिक का हिस्सा होंगे।

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